वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को घोषणा की कि भारत देश के जहाज निर्माण और मरम्मत क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करने के लिए 250 अरब रुपये (2.9 अरब डॉलर) का समुद्री विकास कोष स्थापित करने वाला है।
यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इस प्रयास के तहत, सरकार वैश्विक स्तर पर अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रही है।
1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए सीतारमण ने बताया कि सरकार इस कोष में 49% का योगदान देगी, जबकि शेष राशि बंदरगाहों और निजी क्षेत्र की भागीदारी से जुटाई जाएगी।
भारत के शिपिंग बेड़े को देश के बढ़ते व्यापार, खास तौर पर ऊर्जा आयात और रिफाइंड तेल निर्यात के साथ तालमेल बिठाने में दिक्कत आ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार तेल रिफाइनर और शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर एक नई शिपिंग कंपनी स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य बेड़े का विस्तार करना और विदेशी वाहकों पर निर्भरता कम करना है।
बजट घोषणा के बाद शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के शेयरों में 3.8% की बढ़ोतरी हुई।
इसके अतिरिक्त, सरकार जहाज निर्माण क्लस्टरों को बढ़ावा देगी ताकि जहाज उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सके, जिसमें श्रेणियों और क्षमताओं की व्यापक रेंज शामिल होगी। सीतारमण ने कहा, "इसमें पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढाँचा, कौशल और तकनीकी उन्नति शामिल होगी।"
इस क्षेत्र को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए, भारत घरेलू यार्डों में शिपब्रेकिंग के लिए क्रेडिट नोट शुरू करेगा, जिससे पुराने जहाजों को हटाने और नए जहाजों के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, जहाज निर्माण और शिपब्रेकिंग गतिविधियों के लिए आवश्यक इनपुट पर आयात कर छूट को अगले 10 वर्षों तक बढ़ाया जाएगा।
इन उपायों से भारत के समुद्री क्षेत्र को मजबूती मिलने, आत्मनिर्भरता बढ़ने तथा देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
(रॉयटर्स + स्टाफ)